नव वर्ष पर अर्थपूर्ण उद्देश्य हों ~
आज इस वर्ष का आखिरी दिन है, हम में से कुछ लोग आशातीत सफलता तो कुछ लोग अपनी और असफलता का मूल्यांकन करेंगे। वर्ष की शुरुआत में जो उद्देश्य तय किए गए थे, वह कितने फलीभूत हुए। यह आकलन आवश्यक भी है। छात्रों से संवाद में मैं प्रायः प्राथमिकताओं को तय करने के सिद्धांत पर जोड़ देता हूं। मैं अपनी चर्चा में हमेशा यह बताने का प्रयास करता हूं, कि हम स्वयं में अद्भुत हैं। हमारी आवश्यकताएं, कल्पनाशीलता, जीवन शैली एवं जीवन का उद्देश्य भिन्न है। हम किसी दूसरे जीव से कहीं सशक्त है। हम सक्षम है बदलते परिवेश को अपनाने में; अपनी क्षमता का समुचित उपयोग करने में। हमारे भीतर जो बौद्धिक क्षमता है, वह एक उत्कृष्ट उपहार है। हम केवल अपनी लिए ही नहीं परिवार, समाज और पर्यावरण के लिए योगदान देकर; उनके बेहतरी में सहभागी बन सकते हैं। वास्तविकता यह है कि हम इतना सिर्फ अपने अस्तित्व के लिए करते हैं। मेरा यह प्रश्न "हमारा व्यक्तिगत अस्तित्व क्या है? कब है?" हम सब निरंतर अपने अस्तित्व को जीवंत बनाए रखने की तमाम संभावनाओं की तलाश ही नहीं करते, अपितु उससे सार्थक बनाने का भरपूर प्रयास भी करते हैं। जब हम कुछ ऐसा करने का प्रयास करते हैं, तो व्यक्तिगत हो जाते हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य स्वार्थ केंद्रित हो जाता है। फिर स्वार्थ पूर्ति को केंद्र में रखकर अपने उद्देश्य बनाने लगता है, और जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा अछूता रह जाता है। उद्देश्य निर्माण में अधिकांश लोग अल्पकालिक और संकुचित दृष्टि वाली प्रक्रिया अपना लेते हैं; जो एक वक्त के बाद व्यक्तिगत उद्देश्य को पूर्ण करने के बाद भी व्यक्ति असंतुष्ट अनुभव करता है। मैं मानता हूं मनुष्य अपने बौद्धिक कुशलता, कल्पनाशीलता, योजना एवं प्रबंधन को आधार बनाकर समानता से लिप्त समाज बना सकता है। मेरे दृष्टिकोण में हमें ऐसे उद्देश्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, जिसमें व्यक्ति स्वयं, परिवार, समाज एवं पर्यावरण कोई अछूता ना रहे। हम सब जानते हैं इन सब का मूल्य है, और एक दूसरे पर निर्भरता भी। ऐसे में संतुष्टि नहीं आनंद को केंद्र में स्थान देते हुए उद्देश्य निर्माण करना चाहिए। बेहतर होगा हम सब अपनी वार्षिक उद्देश्य का दायरा बढ़ाए और उसे विभिन्न स्तरों में बनाएं। तत्कालिक एवं असंतुष्ट करने वाली अल्पकालिक संभावनाओं के विचार को त्याग कर; दृढ़, नवीन संभावनाओं को पोषित करने वाले उद्देश्य को प्रधानता प्रदान करें।